एक्सपायरी डेट लिखने से 5 हजार करोड़ की मिठाइयां कम बिकेंगी

एक जून से खुली मिठाइयों के लिए भी दुकानदारों को एक्सपायरी डेट लिखनी होगी। बताया जाएगा कि ये मिठाई कब बनी है और कब तक खाने लायक है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इस बारे में महत्वपूर्ण आदेश व गाइडलाइन जारी की है। इस नई गाइडलाइन से ग्राहकों को ताजी मिठाई मिल पाएगी।


देश में अभी संगठित और असंगठित मिठाई का बाजार करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए है।  फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्यूफैक्चरर्स (एफएसएनएम) के फाउंडर व एमडी फिरोज एच. नकवी कहते हैं कि इस आदेश के बाद मिठाई और नमकीन का कारोबार कम से कम तीन फीसदी तक घट जाएगा। इस तरह करीब 5 हजार करोड़ की बिक्री कम हो जाएगी। 


एसोचैम के फूड प्रोसेसिंग एंड वैल्यू एडिशन काउंसिल के चेयरमैन विकास जैन बताते हैं कि देश में मिठाइयों का 80% काम असंगठित तरह से होता है। ऐसे में इस तरह के नियम दुकानदारों को परेशान करने वाले होंगे। वे कहते हैं कि एफएसएसएआई को टर्न ओवर और एक से अधिक दुकान जैसी कई श्रेणी बनाकर इस प्रकार के आदेश जारी करना चाहिए थे।


कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल बताते हैं कि फूड इंस्पेक्टरों की संख्या दुकानों की संख्या की तुलना में कम है। वे प्रशिक्षित भी नहीं हैं। उनके पास ऐसी कोई मशीन या इक्विपमेंट नहीं है, जिससे दुकान में ही मिठाई का सैंपल ले लिया जाए और वहीं सही मैन्यूफैक्चरिंग डेट पता लगा लें।


आदेश पर आमने-सामने सरकार और एसोसिएशन



  • एफएसएनएम के फिरोज एच. नकवी कहते हैं कि कोई भी फूड इंस्पेक्टर जानबूझकर दुकानदार को परेशान कर सकता है। वो मिठाई का सैंपल लेने के बाद उसी दिन लैब में भेज देगा इस बात की क्या गारंटी है। इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा।

  • एफएसएसएआई के संयुक्त निदेशक परवीन जारगर बताते हैं कि बासी और पुरानी मिठाइयां बेचे जाने की शिकायत लगातार मिल रही थी। यह ग्राहकों के लिए खतरनाक है। इसलिए यह नियम नागरिकों के हित के लिए बनाया। 



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