दंगे से ऐसे हालात पैदा हुए कि शादी के लिए दुल्हन को दूल्हे के गांव जाना पड़ा, बड़े पंडाल और कम्यूनिटी सेंटर की शादी मोहल्ले के टेंट में सिमटी

नई दिल्ली . दिल्ली में तीन दिन तक चले हिंसा के तांडव में सड़कों पर खून बहा, आगजनी और पथराव से करोड़ों की सम्पत्ति तबाह हो गई। सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा और ताने बाने को गहराई झकझोरे-टूटने और अरमानों के बिखरने की आवाज नहीं सुनी गई। गायत्री, असराना और हीना की आंखों में झांककर ही उनकी कहानियों का समझा जा सकता है। एक को शादी करने दूल्हे के गांव-कालोनी में जाना पड़ा, दूसरी माता-पिता के साथ निकाह को मेरठ रवाना हुई तो तीसरी का निकाह अब मोहल्ले में टेंट लगाकर बाद में होगा।


गायत्री ने हाथ की सुर्ख मेहंदी लगवाई, मांग का सिंदूर और कलाइयों की चूड़ियों खनक रही है लेकिन लड़का बारात लेकर आएगा और धूमधाम से डोली उठाकर ले जाएगा, ये अरमान दंगों के डर में बह गए। घर से तारों की छाव में बेटी को गले लगाकर ससुराल विदा न कर पाने का मलाल उसकी मां रेशमा देवी और पिता वासुदेव के भर्राए गले में है। सब्र इतना भर है कि सीलमपुर के दंगों की आग उनकी बेटी के विवाह मंडप में खलल नहीं डाल पाई। लेकिन जो बारात दुल्हन के घर आने थी, बारातियों का स्वागत करना था, वो नहीं कर पाए। बेटी को दुल्हन के जोड़े में दूल्हे के नोएडा सेक्टर 101 स्थित सलालपुर शिव नगर स्थित कालोनी में परिवार के महज 10 लोगों के साथ लेकर जाना पड़ा।


‘सब्जी व दावत का सामान लेने करावल नगर के लालबाग गए तो दंगा शुरू हो गया’


गौतमपुरी गली नंबर-4 में रहने वाले वासुदेव ने बताया कि बेटी गायत्री की शादी 25 फरवरी को नोएडा सेक्टर 101 के सलारपुर शिव नगर कॉलोनी निवासी पूरन सिंह रैकवार से होनी तय थी। जैन धर्मशाला गली नंबर-10 गौतमपुरी न्यू सीलमपुर में बारात का स्वागत करने की तैयारी वासुदेव परिजनों ने की थी। 24 फरवरी को साग-सब्जी व दावत का अन्य सामान लेने करावल नगर लालबाग गए तो वहीं दंगा शुरू हो गया जिसकी वजह से रात जानकार के घर रुकना पड़ा। किसी तरह 25 फरवरी को दावत का सामान लेकर घर पहुंचे। लड़के वालों से बात की तो हालात देखकर वो आने को तैयार नहीं हुए। फिर लड़के के पिता पूरन सिंह रैकवार ने कहा- मंदिर में इंतजाम किया है। वासुदेव बेटी गायत्री को परिवार के आठ-नौ अन्य सदस्यों के साथ शादी का साजो सामान लेकर नोएडा लड़के के गांव में पहुंच गए।


छलका दर्द: पिता बोले-बेटी बार-बार अपनी किस्मत पर रो रही है


गायत्री की मां रेशमा देवी कहती हैं कि यूं तो लड़की के घर बारात और दामाद का स्वागत करने खुशी अलग होती है। लेकिन हालात ऐसे थे कि लड़की ही लड़के घर की तरफ बारात लेकर गई। मंदिर में फेरे लिए और लड़के को ही रात में कार में लड़की के साथ घर ले आए। रेशमा कहती हैं ऐसा लगा कि लड़की ही लड़के को ब्याहकर लाई लेकिन वास्तव में लड़की की विदाई घर से करनी थी। फिर 25 फरवरी की रात 11.30 बजे ही विदा भी कर दी। पिता बताते हैं कि बेटी बार-बार यह कहकर रो रही थी कि आखिर मेरी किस्मत क्या थी कि ये सब हुआ।


‘बहन को लेकर परिवार मेरठ गया है’


तक्षशिला स्कूल शिव मंदिर वाली गली में रहने वाली असराना चौधरी का निकाह शुक्रवार को न्यू जाफराबाद के कम्यूनिटी सेंटर में होना था। बारात मेरठ से आनी थी और रिश्तेदार भी मुजफ्फर नगर, मुराद नगर और उसके आसपास से ज्यादा आने थे। बारात वाले भी तैयार नहीं थे और रिश्तेदार भी आने को मना कर रहे थे। असराना के भाई मोहम्मद वासिद ने भास्कर से कहा- बुकिंग कैंसिल कराई है। टेंट, हलवाई भी बुक था। अब एमसीडी वो 35 हजार रुपए भी वापस नहीं कर रही है क्योंकि नियम ऐसा है। मो. वासिद कहते हैं- हमलोग मोहल्ले में मिलजुल कर रहे हैं लेकिन ये भीड़ कहां से आती है जो खुशी उजाड़ देती है। अब निकाह मेरठ में ही होगा। परिवार के कुछ असराना को लेकर वहां पहुंचे हैं।


कर्दमपुरी का माहौल सुधरेगा तभी करेंगे बेटी  का निकाह: इस्लामुद्दीन


कर्दमपुरी निवासी इस्लामुद्दीन कहते हैं माता-पिता नहीं हैं। बहन की शादी की तैयारी डेढ़-दो महीने से कर रहा था। कार्ड बांट चुका और मुंबई से फूफी का परिवार भी आ गया है। लेकिन जाफराबाद से बारात आनी थी, वो हालात देखकर तैयार नहीं हैं। तो अब टाल रहे हैं। अब हालात सामान्य होंगे तो गली में छोटा टेंट लगाकर निकाह कर लेंगे।



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